Gold rates today: 25 सितंबर को सोने की कीमतें नए शिखर पर पहुंच गईं। यह वृद्धि कई कारकों का परिणाम है, जिनमें डॉलर की कमजोरी और अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती शामिल हैं। आइए इस स्थिति का विस्तार से विश्लेषण करें।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें
वैश्विक बाजार में स्पॉट गोल्ड की कीमत 0.2% बढ़कर 2,661.52 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई। इसी तरह, अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स में 0.3% की वृद्धि देखी गई, जो 2,686.10 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।
भारतीय बाजार में सोने की कीमतें
भारत में भी सोने की कीमतों में उछाल देखा गया। 24 कैरेट सोने का भाव 75,280 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया, जबकि 22 कैरेट सोने का भाव 69,007 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा।
डॉलर की कमजोरी का प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर में आई 0.2% की गिरावट ने सोने की कीमतों को बढ़ावा दिया है। डॉलर के कमजोर होने से अन्य मुद्राओं में सोने की कीमतें कम हो जाती हैं, जो निवेशकों के लिए आकर्षक होता है।
अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की संभावना
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की संभावना है। यह कदम सोने की कीमतों को और बढ़ा सकता है, क्योंकि कम ब्याज दरें सोने जैसी गैर-लाभकारी संपत्तियों को अधिक आकर्षक बनाती हैं।
चीन की आर्थिक नीतियों का प्रभाव
चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इससे तरलता बढ़ने की उम्मीद है, जो सोने की मांग को बढ़ा सकती है। चीन में ब्याज दरों में कमी से निवेशकों का रुझान सोने की ओर बढ़ सकता है।
मध्य पूर्व में तनाव का असर
इजराइल और लेबनान के बीच बढ़ते तनाव ने भी सोने में निवेश को आकर्षक बना दिया है। अगर यह संकट और गहराता है, तो सोने की कीमतों में और तेजी आ सकती है।
निवेशकों का रुझान
पश्चिमी देशों के निवेशकों का रुझान गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स की ओर बढ़ सकता है। यह प्रवृत्ति सोने की कीमतों को और सहारा दे सकती है।
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि अल्पावधि में सोने का दृष्टिकोण सकारात्मक है। सोने के लिए 2,690 डॉलर और फिर 2,710 डॉलर प्रति औंस पर प्रतिरोध स्तर देखा जा रहा है।
सोने की कीमतों में यह वृद्धि कई कारकों का परिणाम है, जिनमें वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव, और भू-राजनीतिक तनाव शामिल हैं। निवेशकों और व्यापारियों को अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों और आने वाले मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि ये कारक आगे चलकर सोने की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।
इस स्थिति में, निवेशकों को सावधानीपूर्वक निर्णय लेने की आवश्यकता है। हालांकि सोने की कीमतें बढ़ रही हैं, लेकिन बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए संतुलित निवेश रणनीति अपनाना महत्वपूर्ण है। साथ ही, भारतीय उपभोक्ताओं के लिए यह समय सोने की खरीदारी के लिए महंगा हो सकता है, इसलिए खरीदारी से पहले बाजार की स्थिति का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना चाहिए।